Arthshastra Prashnottri
Arthshastra Prashnottri
Dr. M.K.Mishra
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मानव का यह स्वभाव है कि वह उन वस्तुओं की इच्छा करता है जो उसे संतुष्टि दे सकें या जिससे संतुष्टि प्राप्त होती हैं। मानव की इच्छाएँ असीमित होती हैं जैसे ही किसी एक इच्छा को संतुष्ट करता है दूसरी इच्छा स्वतः ही जाग्रत हो जाती है परन्तु इन इच्छाओं को संतुष्ट करने के लिए उसकें पास पर्याप्त साधान क्रय शक्ति, नहीं होते तथा सभी इच्छाओं की तीव्रता भी समान नहीं होती हैं इसलिए जो इच्छा सबसे प्रबल होती हैं उसे वह पहले पूरा करना चाहेगा। आवश्यकता : वे प्रबल इच्छाएँ जिन्हें पूरा करने के लिए हमारे पर्याप्त साधान द्धक्रय शक्तिऋ हों तथा उस साधान क्रय शक्ति को छोड़ने के लिए त्त्पर हो आवश्यकता कहलाती हैं। इस प्रकार सभी मानवीय इच्छाएँ या आवश्यकताओं की पूर्ति असंभव है। हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति उनकी तीव्रता के हिसाब से करते हैं। शेष इच्छाएँ या आवश्यकताएँ असंतुष्ट ही रह जाती है। मूलभूत आवश्यकताएँ-प्रत्येक व्यक्ति की कुछ मूलभूत आवश्यकताएँ होती हैं जिनके बिना मनुष्य का जीवित रहना असंभव होता है जैसे-हवा, पानी, भोजन, कपड़ा और मकान। हवा व पानी के बिना हमारा जीवन ही संभव नहीं है। भोजन के बिना हम कुछ दिनों तक जीवित रह सकते हैं।
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Dr. M.K.Mishra
