Atam Chintan
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मनुष्य के विचार तथा भावनाएँ उसके मन को सदा उद्वेलित करती रहती हैं। कभी श्रेष्ठता की ओर बढ़कर जीवन को ऊपर उठाती हैं, कभी दुर्भावनाएँ बन नीचे गिराती है। इन्हीं के अनुरूप उसका जीवन ढलता रहता है। भावनाएँ ही मनुष्य के दुख और सुख का कारण है। स्वयं अपने अन्तर्मन से इन भावनाओं का चिन्तन मनन करके, उन्हें उचित दिशा में चलने को उद्यत कर सकते हें। सद्भावनाएँ जैसे प्रेम, उदारता, दया, विनम्रता इत्यादि हमारे मन के मित्र बन जाते हैं अथवा क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, दुर्भावनाएँ बनकर स्वयं अपने शत्रु खड़े कर लेते हैं। ‘आत्म चिन्तन मेरे जीवन सत्यानुभूतियों का संकलन है’ प्रभु कृपा से मेरी अल्प बुद्धि ने श्रद्धा भक्ति में ध्यान लगाकर, जीवन से जो अनुभव प्राप्त किए, उन्हीं का काव्य पुस्तक है यह ‘आत्म-चिन्तन’।
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