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Bachche Man Ke Sachche

Bachche Man Ke Sachche

Dr. Pavitra Kumar Sharma

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बाल-जीवन मनुष्य की ज़िन्दगी की सबसे पह्ली सीढ़ी है। इस जीवन में व्यक्ति दुनिया की सारी चिन्ताओं और परेशानियों से मुक्त रह्ता है। केवल खेलना और खाना ही उसका काम होता है। इसके बाद जब बच्चा पढ़ने-लिखने स्कूल जाता है तो पढ़ना-लिखना उसका काम हो जाता है। परंतु स्कूल की पढ़ाई-लिखाई करता हुआ भी बालक सब प्रकार के विघ्नों और परेशानियों से मुक्त रह्ता है। हमारे देश में बच्चों को ‘देवता-स्वरूप’ या ‘भगवान का स्वरूप’ कहा जाता है। इसका कारण बच्चों के अंदर पाई जाने वाली सच्चाई एवं सफाई है। बच्चों का मन अंदर से एकदम साफ होता है। काम, क्रोध,लोभ, मोह तथा अहंकार आदि मनोविकारों का मैल उनके छोटे-से मस्तिषक को परेशान नहीं करता और न ही घृणा-ईर्ष्या-द्वेष का मैल वे अपने अंदर रखते हैं। बच्चे अंदर और बाहर से निर्मल दर्पण की तरह साफ-स्वच्छ हुआ करते हैं। बच्चों को यदि हम साफ-स्वच्छ माहौल प्रदान कर सकें तो उनमें मान्वता के उत्तम गुणों का विकास हो सकता है। यही पुस्तक का उद्देश्य है ताकि बच्चों को साफ-स्वच्छ माहौल देकर उनका भविष्य उज्ज्वल बनाएं ताकि आज के बच्चे कल के राष्ट्र निर्माता बन सकें।

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Hard Cover

Author

Dr. Pavitra Kumar Sharma

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