Bhartiya Antriksh Khoj Ki Vikas Gatha
Bhartiya Antriksh Khoj Ki Vikas Gatha
Virender Singh
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सभ्यता की शुरुआत से ही मानव अंतरिक्ष की रोमांचक कल्पनाएँ करता रहा है। इन रोमांचक कल्पनाओं में अंतरिक्ष कभी आध्यात्म का विषय बना तो कभी कविताओं और दंत-कथाओं का। पारलौकिकतावाद से प्रभावित होकर कभी मानव ने अपनी कल्पना के स्वर्ग और नरक अंतरिक्ष में स्थापित कर दिये तो कभी मानवतावाद के प्रभाव में आकर पृथ्वी को केंद्र में रखा और अंतरिक्ष को उसकी परिधि मान लिया। धीरे-ध ीरे जब सभ्यता और समझ विकसित हुई तो मानव ने अंतरिक्ष के रहस्यों को समझने के लिये प्रेक्षण यंत्र बनाएँ, जिनमें दूरबीनें प्रमुख थीं। इसके बाद प्रारम्भ हुआ विज्ञान के माध्यम से अंतरिक्ष को समझने का प्रयास। इस क्रम में आर्यभट्ट से लेकर गैलीलियो, कॉपरनिकस, भास्कर एवं न्यूटन तक प्रयास होते रहे। न्यूटन के बाद आधुनिक अंतरिक्ष विज्ञान का विकास हुआ, जो आज इतना परिपक्व हो गया है कि हम मानव को अंतरिक्ष में भेजने के साथ अंतरिक्ष पर्यटन एवं अंतरिक्ष कॉलोनियाँ बसाने की भी कल्पना करने लगे हैं। भारत में आधुनिक अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई थे। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का प्राथमिक उद्देश्य राष्ट्रीय हित में अंतरिक्ष तकनीक एवं उसके अनुप्रयोगों का विकास करना है। भारत ने जब अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत की थी तो कई विकसित देशों ने इसका मजाक बनाया था, परंतु भारत ने अपने कम बजट में भी उच्च अंतरिक्ष तकनीक को हासिल करने में सफलता प्राप्त की और आज वह श्रेष्ठ अंतरिक्ष तकनीक वाले देशों की कतार में शामिल है।
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Virender Singh
