Bhartiya Sena Parajay Se Vijay Tak
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Rampal Singh
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सन् 1848-49 में सिख साम्राज्य व ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच दूसरा युद्ध हुआ। प्रथम एंग्लो सिख युद्ध में ब्रिटिश सेना ने विजय प्राप्त कर सिख साम्राज्य की बहुत कीमती भूमि जालंधर के दोआब पर कब्जा कर लिया। महाराजा गुलाब सिंह ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को नकद रुपया देकर सिख साम्राज्य के जम्मू-कश्मीर भू-भाग को खरीद लिया क्योंकि प्रथम एंग्लो सिख युद्ध की हार के बाद सिख साम्राज्य पर जो युद्ध का खर्चा थोपा गया था, वह उस हजनि को देने की स्थिति में नहीं था। अतः अंग्रेजों ने अपने युद्ध खर्चे की भरपाई करने के लिए जम्मू-कश्मीर को गुलाब सिंह को बेच दिया। 9 जुलाई, 1806 ई. को वेल्लौर में सेना में बगावत हो गई। सुबह 3 बजे भारतीय सैनिकों ने 69वीं रेजीमेंट की बैरक में यूरोपियन सैनिकों पर आक्रमण कर दिया जिसमें 100 से अधिक यूरोपियन मारे गए और इससे अधिक घायल हुए। इसी के साथ एक दर्जन से अधिक यूरोपियन अधिकारियों को गोली उस समय मार दी गई जब वे अपने घर से यह जानने के लिए बाहर निकले कि मामला क्या है? जो जीवित बचे, उन्होंने अपनी सुरक्षा की व्यवस्था में अपने घरों के सामने व्यवधान खड़े कर दिए जिससे भारतीय सैनिक उन्हें मारने के लिए उनके घर में न घुसें। मुख्य द्वार पर भी व्यवधान किया गया जिससे वे भाग न पाएँ। उसके बाद विद्रोही सैनिकों ने लूट मचा दी। अधिकारियों के घरों को लूटने के बाद विद्रोहियों ने किले से बाहर भागने का प्रयास किया। उनमें से कुछ भागने में सफल हुए। एक ब्रिटिश अधिकारी मेजर कोटस, जो किले से बाहर था, वह 'अरकोट' की तरफ दौड़ा जो वहाँ से 16 मील दूर था। वहाँ पर ब्रिटिश कैवलरी उपस्थित थी। विद्रोह की सूचना मिलने के 15 मिनट बाद लेफ्रिट. कर्नल रोलो गिलेस्पी, जो उन्नीसवीं ड्रेगोनस की कमांडिंग करते थे, ने अपने साथ एक स्क्वाड्रन तथा मद्रास कैवलरी की स्क्वाड्रन साथ में लेकर वेल्लौर की ओर जल्दी से प्रस्थान किया।
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Rampal Singh
