Skip to product information
1 of 1

Bhartiya Yuddh Kala: Kautalya

Bhartiya Yuddh Kala: Kautalya

R. P. Singh

SKU:

इतिहास साक्षी है जब भी किसी देश की शासन प्रणाली में भ्रष्टाचार का प्रवेश हो जाता है, तब वहाँ न शांति रह पाती है और न अनुशासन । निहित स्वार्थ मनुष्य को क्रूर बना देता है और वह समस्त शालीनता को ताक पर रखकर अपने ही भाइयों का खून चूसने लगता है। जो ताकतवर है वह कमजोर की गर्दन दबाता है और जो चालाक है वह भले मानस का जीना दूभर कर देता है। ऐसी स्थिति आ जाने पर सदाचार को प्रतिष्ठित करने के लिए नीचता को उस पूरे तंत्र को उखाड़ फेंकना अनिवार्य हो जाता है। सभी जानते हैं कि सदाचार के अभाव में न व्यक्ति सुखी रह सकता है, न परिवार, न समाज, न देश। कौटिल्य, ऐसे ही अराजक परिवेश की उपज था। जीव वैज्ञानिक डार्विन के अनुसार प्रत्येक जीव को संघर्ष करना पड़ता है। वह संघर्ष किसी भी प्रकार का हो सकता है, संघर्ष में सफल होने के बाद ही वह अपना अस्तित्व कायम करता है, यह प्रकृति का नियम है।

Quantity
Regular price INR. 495
Regular price Sale price INR. 495
Sale Sold out
Shipping calculated at checkout.

Binding

Hard Cover

Author

R. P. Singh

View full details