Bhojan Aur Swasthya
Bhojan Aur Swasthya
Dr. Lalbahadur Singh Chauh
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मनुष्य का स्वास्थ्य, उसके विचार यहाँ तक कि उसकी प्रत्येक क्रिया का आधार भोजन है। किन्तु केवल भोज्य पदार्थ सेवन से ही शरीर और मन की पुष्टि नहीं होती, बल्कि भोजन का उचित रूप से पाचन होकर शरीर के सूक्ष्म अंगों तक पहुँचना भी आवश्यक होता है। अगर भोजन शुद्ध और पौष्टिक न हो तो स्वास्थ्य भी ठीक नहीं हो सकता। प्राचीन शास्त्रों में अथर्ववेद, आयुर्वेद, मनुस्मृति आदि में कहा गया है कि जैसा आहार वैसा विचार व स्वास्थ्य, हम जिस प्रकार का भोजन करेंगे वैसा ही हमारा तन-मन हो जाएगा, इसलिए भोजन शुद्ध, स्वादिष्ट व पाचक करना चाहिए। आज पाश्चात्य संस्कृति की नकल में हम 'फास्ट फूड' एक फैशन के रूप में ग्रहण कर रहे हैं, इस फास्ट फूड से अपच के साथ-साथ कई बीमारियाँ, एसीडिटी, कब्ज, आँतों में सूजन, मन्दाग्नि आदि के शिकार हो रहे हैं, तथा भोजन समय से शुद्ध पाचक न खाने से विभिन्न बीमारियों का जन्म मिल रहा है। भोजन किस प्रकार का ग्रहण करना चाहिए तथा विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ किस प्रकार के भोजन से होती हैं तथा किस प्रकार का भोजन कर इन बीमारियों को कम या समूल नष्ट किया जा सकता है, बाखूबी इस पुस्तक में वर्णित है। भोजन के अलावा आज के प्रदूषित वातावरण में रहन-सहन तथा शुद्धता के भी विभिन्न उपाय बताए गए हैं जोकि आजकल की भाग-दौड़ की जिन्दगी में एक प्राणस्वरूप हैं।
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Dr. Lalbahadur Singh Chauh
