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Guerrilla Yuddh

Guerrilla Yuddh

R. P. Singh

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सत्ता बंदूक की नाल से निकलती है-यह कहना था माओ त्से तुंग का। गुरिल्ला युद्ध की अपनी गुणवत्ता तथा ध्येय होता है। यह एक प्रकार का हथियार है जब कोई राष्ट्र हथियार और मिलिट्री संसाधनों के अभाव में जीवन व्यतीत करता है और जब उसे किसी शक्तिशाली आक्रामक राष्ट्र से मुकाबला करना पड़ता है, जब आक्रमण करने वाले की जड़ें गहराई तक पहुँच जाती हैं तब वह उस भू-भाग पर जुल्म व अत्याचार करने लगता है और अपने गलत तरीकों से जनता को दबाए रखता है। इसमें कोई सन्देह नहीं कि इस प्रकार वहाँ की जलवायु, भूमि और समाज उनकी प्रगति में बाधक होता है तथा उनको लाभ पहुँचाता है जो उसका विरोध करते हैं, इस गुरिल्ला युद्ध में हम इस लाभ को विरोध करने के उद्देश्य से शत्रु को हराने में जुटते हैं। विरोध के दौरान गुरिल्ला धीरे से परम्परागत फोर्स के साथ मिलकर अपना ऑपरेशन चलाता है जिसको रेगुलर फोर्स की अन्य यूनिट भी साथ देती है। इस प्रकार ट्रप्स लगातार संगठित होते चले जाते हैं। जो गुरिल्ला अपना स्तर बना लेते हैं और वे अन्य गुरिल्ला जिनका विकास नहीं हुआ, दोनों मिलकर मिलिट्री शक्ति बनाते हैं जो किसी राष्ट्र के क्रांतिकारी युद्ध के लिए आवश्यक है।

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Author

R. P. Singh

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