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Hanste Mahekte Phool

Hanste Mahekte Phool

Dr.Shakuntla Kalra

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बच्चे ईश्वर की बगिया के हँसते-महकते फूल हैं। जो स्वयं ही अपने भीतर इतनी सुगंध समेटे हैं कि जिस आँगन में खिलते हैं उसे तो महकाते ही हैं, आसपास पूरे वातावरण को भी खुशबू से भर देते हैं। इन कविताओं में बच्चों की अपनी गंध है अपना रंग है। ये कविताएं लेखक की नहीं लेखक के भीतर बैठे बच्चे के मन में जो शब्दों का झरना झर-झर बहा है, उसी को वाणी मिली है। ये समय-समय पर हुई अनुभूतियाँ हैं। भीतर बैठे बालक की कल्पनाओं का आईना है। इनमें वे सपने हैं जो बालक बुनता है। वे आकाँक्षाएँ हैं जो उसकी पहचान हैं। पुस्तक चित्रों से सुसज्जित है।

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Binding

Paperback

Author

Dr.Shakuntla Kalra

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