Jaivik Aur Rasaynik Hathiyar
Jaivik Aur Rasaynik Hathiyar
Sanchita K
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जैविक हथियार के माध्यम से प्रायः विषाणु या जीवाणु के साथ नई तकनीकी की सहायता से हमला किया जाता है जो अन्य हथियारों से और भी ज्यादा खतरनाक होता है। उल्लेखनीय है कि कीटाणुओं, विषाणुओं अथवा फफूंद जैसे संक्रमणकारी तत्वों जिन्हें जैविक हथियार कहा जाता है, का युद्ध में नरसंहार के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है। जैव आतंकवाद के वाहक के रूप में तकरीबन 200 प्रकार के बैक्टीरिया, वायरस, फंगस पर्यावरण में मौजूद हैं। एंथ्रेक्स, प्लेग, बोटूलिज्म, टूलेरीमिया, ग्लैन्डर, जैसे खतरनाक जीव इसमें शामिल हैं। कई वाहक पाउडर के रूप में होते हैं। इन्हें आसानी से पानी या हवा में छोड़ा जा सकता है या किसी के भोजन में मिलाया जा सकता है। ये 24 घंटे के अंदर प्राणी और अन्य जीवों की जान ले सकते हैं।
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Sanchita K
