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Khoob Lari Mardani Weh Toh...

Khoob Lari Mardani Weh Toh...

Dr. Lalbahadur Singh Chauh

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भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में केवल पुरुषों ने हो मर मिटकर अपनी जिन्दगियाँ तबाह नहीं की थी, अपितु वीर बाँकुरी नारियाँ भी घर की चहारदीवारी से बाहर निकली थी और उन्होंने भी बहादुरी तथा अदम्य माहस का परिचय देते हुए रणभूमि में युद्ध कर दुश्मनों के दाँत खट्टे कर दिये थे। कौन नहीं जानता कि सन् 1857 के स्वातन्त्र्य समर में महारानी लक्ष्मीबाई ने इण्लैण्ड की अपार शक्ति को छका छका कर छक्क छुड़ा दिए थे। झाँसी की महारानी लक्ष्मीचाई भी जंगे आजादी में विशिष्ट योगदान करने वाली अविस्मरणीय एक ऐसी ही वीरांगना थीं। जिस समय अंग्रेज शासक देशी रियासतों को एक-एक करके अपनी अधीनता स्वीकार कराते जा रहे थे और उनके राज्यों को अपने में मिलाते जा रहे थे, तभी महारानी लक्ष्मीबाई ने कहा था" मैं अपनी झाँसी नहीं दूंगी।" ऐसी बहादुर वीरांगना की वीरगाथा है यह पुस्तक जो सरल सुबोध भाषा में लिखो गई है।

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Binding

Hard Cover

Author

Dr. Lalbahadur Singh Chauh

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