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Kranti Path Par Chalte Chalte

Kranti Path Par Chalte Chalte

Sanchita Kushwah

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भारत को स्वाधीन कराने तथा दासता की जंजीरों से मुक्त कराने हेतु लाखों देशवासियों ने अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी। अंग्रेज शासकों के बर्बरतापूर्ण कार्यों का उन्हीं की भाषा में उत्तर देने का निर्णय लिया था क्रान्तिकारियों ने तथा बलपूर्वक अंग्रेजों को इस देश से भागने को विवश करने के लिए वे सक्रिय हो उठे थे। वर्षों की गुलामी से अपने देश को मुक्त कराने की भावना जनसाधारण के मन में जाग्रत करने तथा उस भावना को दिन-ब-दिन प्रबल बनाने में बहुत बड़ा योगदान रहा तत्कालीन साहित्य का, भारतीय संस्कृति का, अंग्रेजों के अन्यायपूर्ण बर्बरतापूर्ण शासन का मुखर विरोध करनेवाले देशभक्त नेताओं का व क्रान्तिकारियों के शहीद होने की भावना का। राष्ट्रहित की इसी भावना के कारण ज्ञात, अज्ञात हजारों क्रान्तिकारियों ने अपना सर्वस्व इस स्वाधीनता संग्राम को समर्पित कर दिया तथा अनगिनत लोग शहीद हो गये। क्रान्तिकारियों का एक सपना था कि अंग्रेजों के शासन से अपने देश को मुक्त कराने के पश्चात एक ऐसे समाज की स्थापना करना जिसमें ऊँच-नीच, जात-पात का कोई भेदभाव न हो, सबको समान अवसर मिले व मनुष्य का मनुष्य द्वारा शोषण न हो। स्वाधीनता के 64 वर्षों पश्चात क्रांतिकारियों का सपना पूरा होना तो दूर अपने देश में बढ़ती अनैतिकता व समाज के विकृत रूप को देखकर प्रत्येक राष्ट्रभक्त का मन हताशा व निराशा से भर उठता है। क्रान्तिकारियों के त्याग व बलिदान, राष्ट्रहित में इनकी सोच तथा आदर्श एवं दृढ़ विचारों से आज की युवा पीढ़ी अनभिज्ञ है। आज इन क्रान्तिकारियों के आदर्श को तथा अपना सर्वस्व राष्ट्रहित में समर्पण करने की भावना को युवा वर्ग ही नहीं, जन-जन तक पहुँचाने की आवश्यकता प्रतीत होती है। इसी उद्देश्य से इन लेखों को संकलित कर 'क्रान्ति पथ पर चलते चलते ...' पुस्तक रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।

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Hard Cover

Author

Sanchita Kushwah

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