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Krantikari Lala Hardyal Aur Unake Sahyogi

Krantikari Lala Hardyal Aur Unake Sahyogi

P.Satyanarayan Sharma

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इसी काल में दिल्ली निवासी युवा हरदयाल के हृदय में राष्ट्रवाद हिलोरें मार रहा था। उसने अपने साथ कुछ क्रांतिकारी मित्रों को अपने साथ जोड़ा जो सशस्त्र क्रांति में विश्वास करते थे। दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से शिक्षा प्राप्त करने के बाद वह अंग्रेजी सरकार की छात्रवृत्ति पर उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए। वहाँ उनके हृदय में स्वतंत्रता की तड़प उग्रतम हो गई। भारत लौटने पर उन्होंने अपनी सशक्त लेखनी से भारतीयों में स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए अलख जलानी प्रारंभकी। अंग्रेज सरकार उनकी गिरफ्तारी के लिए उपयुक्त समय की प्रतीक्षा करने लगी। इनके मित्रों के सुझाव पर यह भारत छोड़कर विदेश चले गए और वहीं से भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रयास रत रहे। वह विश्व की लगभग एक दर्जन भाषाओं को लिख-पढ़ व बोल सकते थे। वे लगभग 20-22 वर्ष विदेशों में क्रांति की मशाल को थामे रहे।

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Hard Cover

Author

P.Satyanarayan Sharma

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