Skip to product information
1 of 1

Man Ke Char Adhyay

Man Ke Char Adhyay

SKU:

हम अपनी पहचान में किसी खास मन का ही प्रतिनिधित्व करते हैं। हम मन को दो विशिष्ट भागों में भी बाँट सकते हैं और चार या चार सौ भागों में भी। मुख्य बात है-मन की पहचान, मन की भूमिका। इसी पहचान से लोग हमें जानते हैं कि फलाँ इंटेलेक्चुअल है कि अमुक व्यक्ति कलाकार या संत है। प्रस्तुत पुस्तक में लेखक ने मन को या मनुष्य को चार भागों में बाँटकर उन्हें देखने-समझने की कोशिश की है। लेखक की यह कोशिश वैयक्तिक हो सकती है मगर मन निर्वैयक्तिक होता है जैसे ईश्वर। आप ईश्वर को कैद नहीं कर सकते। आप मन के पीछे भाग ही सकते हैं। जिस दिन आपको भागने की, इस निरर्थकता का आभास हो जाता है उसी दिन आपके जीवन में ध्यान घटित होता है। ध्यान मनुष्य की प्रकृति है। बच्चे ध्यानी होते हैं। जैसे-जैसे बच्चे बडे होते हैं वे अपनी प्रकृति से दूर होते जाते हैं। आप अपनी यात्रा जहाँ से शुरू करें, लौटते वहीं हैं। यदि हम यात्रा (दैहिक) के दौरान अपनी प्रकृति को हमेशा याद रखें तो हमारी पहचान जैसी हो, हम हर परिस्थिति में खुश रह सकते हैं। हमारी खुशी को मन का कोई कटघरा, मन का कोई भेद बाधित नहीं कर सकता। हम अपनी यांत्रिकता में उतने ही शांत दिखेंगे जितने ध्यान में।

Quantity
Regular price INR. 395
Regular price Sale price INR. 395
Sale Sold out
Shipping calculated at checkout.

Binding


Author

View full details