Meer Taki Meer Ki Chuninda Shayari
Meer Taki Meer Ki Chuninda Shayari
Devendra Manjhi
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मीर तकी 'मीर' के विषय में मीर तकी 'मीर' का जन्म सन् 1723 में आगरा के निकट अकबरपुर गाँव में हुआ था। आगरा जनपद के सूफी फकीर मीर अली मुत्तकी की दूसरी पत्नी के पहले पुत्र मुहम्मद तकी (जिन्हें शायरी की दुनिया में 'मीर तकी मीर' के नाम से जाना जाता है) की जन्म तिथि विवादों के घेरे में ही रही है; कुछ लोग उनके जन्म का वर्ष 1723 मानते हैं तो कुछ अंदाज़ा लगाते हुए जन्म-वर्ष 1724 मानते हैं। वैसे, एकदम सही जन्म-वर्ष का लेखा-जोखा कहीं उपलब्ध नहीं है। खुद मीर तकी 'मीर' ने अपनी फारसी पुस्तक 'ज़िक्रे-मीर' में अपना संक्षिप्त-सा परिचय दिया है, उसी से उनका जन्म-वर्ष आँकने का प्रयास किया जाता है। मीर के पूर्वज सऊदी अरब के 'हेजाज़' से भारत आए थे। वे जब दस वर्ष की अल्पायु में थे तभी उनके पिता का देहावसान हो गया। दर्द और ग़म जमा करके उन्हें अपनी शायरी में ढालने वाले शायर का शरीर 20 सितम्बर 1810 (लगभग 87 वर्ष की आयु में) को इस दुनिया की दहलीज़ को हमेशा-हमेशा के लिए अलविदा कह गया, हमसे रुख़्सत हो गया और दुनिया को सौंप गया अपनी शायरी के छह दीवान (शायरी के संकलन), पंद्रह हज़ार से अधिक अरबी भाषा के शे'र तथा 'कुल्लियाते-मीर' में दर्जनों मस्नवियाँ (शायरी की एक किस्म, जिसमें कोई कहानी या उपदेश एक ही वृत्त में होता है और हर शे'र के दोनों मिसे सानुप्रास होते हैं, स्तुतिगान), कसीदे, बासोख़्ता और मर्सिये संकलित हैं।
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Hard Cover
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Devendra Manjhi
