Mohan Chopra Ka Rachnakarm
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प्रेमचन्द प्रसाद युग के अन्तिम चरण में जिन रचनाकारों ने, हिन्दी साहित्य-सृजन का पहला पाठ पढ़कर, हाथ में कलम थामी थी और निरन्तर सशक्त होती लेखनी द्वारा, अबाध गति से, विपुल मात्रा में, श्रेष्ठ साहित्य की सर्जना करके, अपनी पुष्ट पहचान बनाई थी, उन यशस्वी लेखकों में हरियाणा के मोहन चोपड़ा का नाम अग्रिम पंक्ति में स्थान पाने का अधिकारी है। विविधमुखी प्रतिभा सम्पन्न मोहन चोपड़ा एक सिद्ध कवि, प्रयोगधर्मी नाट्यशिल्पी, वादमुक्त कहानीकार, यथार्थवादी उपन्यासकार और संवेदनशील यात्रा-साहित्यकार थे। हरियाणा और पंजाब के तत्कालीन भाषा-विभागों द्वारा अनेकधा पुरस्कृत / सम्मानित श्री चोपड़ा, सही अर्थों में, एक प्रगतिशील रचनाकार थे। समाज- सुधार और जनहित को समर्पित इनका साहित्य वर्ग और दलगत राजनीति से सर्वथा मुक्त रहा है। आशा है, इस ग्रंथ के माध्यम से, विभिन्न ज्ञानानुशासनों के ज्ञान-ध्याता, श्री चोपड़ा को हिन्दी-साहित्येतिहास में उचित स्थान मिलेगा।
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