Nain Hamare Swapan Tumhare
Nain Hamare Swapan Tumhare
Surender Sadhak
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नैन हमारे स्वप्न तुम्हारे, नामक मेरी यह काव्य पुस्तक एक प्रकार से प्रेम-ग्रंथ ही है। ग्रंथ क्यों कहा, ये सब आपको पुस्तक पढ़कर ही बोध होगा। शृंगार एवं विरह रस प्रधान इस पुस्तक में कुल 464 मुक्तक पूर्ण रूप से सुसज्जित ढंग से लयबद्ध हैं। मुझे इस पुस्तक को लिखने में लगभग 2 वर्ष का समय लगा। मुक्तक विधा में लिखी गई इस पुस्तक में सैकड़ों प्रकार से अंतर्मन की तरंगों के निर्मल स्वरूप को उकेरा है। मिलन, विरह, विलाप के अनन्त भावों को शब्दों में संचित किया है। प्रेम कब, कहाँ, किससे, क्यूँ और कैसे हो जाए, कहा नहीं जा सकता। इन शब्दों में कुछ कल्पना है तो कुछ वास्तविकता भी समाई हुई है। मनुष्य प्रेम से और प्रेम करने वालों से तभी तक घृणा करता है, जब तक उसे स्वयं किसी से प्रेम नहीं हो जाता। हृदय में प्रेम प्रकट होते ही एक पल में अंतर्मन की सारी अज्ञानता नष्ट हो जाती है, बिल्कुल वैसे ही जैसे सूर्य को उदित होते ही भू मण्डल का अंधकार दूर हो जाता है, और रच जाता फिर कोई ऐसा ही नया प्रेम-ग्रंथ। आशा है ये पुस्तक आपको अवश्य ही अच्छी लगेगी। धन्यवाद ।
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Binding
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Hard Cover
Author
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Surender Sadhak
