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Nanaji Deshmukh

Nanaji Deshmukh

Dr. Pavitra Kumar Sharma

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नानाजी देशमुख का पूरा नाम चंडिकादास अमृतराव देशमुख था। वे एक महान समाज सेवी, राष्ट्रभक्त तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित कार्यकर्ता थे। पहले वे जनसंघ के नेता थे, बाद में सन् 1977 . में जब भारत में जनता दल की सरकार बनी तो उन्हें मोरारजी-मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया। कुछ समय बाद नानाजी ने यह कहकर मंत्री पद ठुकरा दिया कि साठ से ज्यादा वर्ष की आयु के लोगों को सरकार से बाहर रहकर समाज सेवा का कार्य करना चाहिए। नानाजी देशमुख ने पं. दीनदयाल उपाध्याय जी की मृत्यु के बाद 'दीनदयाल शोध संस्थान' की स्थापना की और वे इस समाजसेवी संस्थान के अंतर्गत चलने वाले विभिन्न प्रकल्पों के अंतर्गत जीवनपर्यंत कार्य करते रहे। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया था। अटल जी के प्रधानमंत्री-काल में भारत सरकार ने नानाजी को शिक्षा, स्वास्थ्य एवं ग्रामीण स्वावलंबन के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान के लिए 'पद्म विभूषण' सम्मान से अलंकृत किया था। सन् 1989 . में नानाजी देशमुख पहली बार चित्रकूट आए और यहाँ ग्राम विकास एवं समाजसेवा के कार्य करते हुए अंतिम रूप से यहीं बस गए। 94 वर्ष की उम्र में नानाजी ने चित्रकूट में प्रथम ग्रामीण विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। इसके बाद 27 फरवरी, 2010 को 94 वर्ष की आयु में ही चित्रकूट में उन्होंने अपने जीवन की अंतिम साँस ली। मरने से पहले नानाजी ने अपना शरीर छात्रों के मेडीकल शोध हेतु अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली को सौंप दिया था।

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Author

Dr. Pavitra Kumar Sharma

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