Nari Banam Nari
Nari Banam Nari
Shanti Kumar Sayal
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महिला उपन्यासकारों ने अपने उपन्यास में नारी को विशेष महत्त्व देते हुए उसके विविध रूपों का वर्णन किया है। आर्थिक रूप से स्वतंत्र नारी, प्रबुद्ध, विवेकी, उचित, अनुचित की पहचान कर सकने वाली नारी, अधिकार से अधिक कर्त्तव्य के प्रति जागरूक नारी का बहुत बड़ा भाग पुरुष सहचर्य को ही जीवन मानता है। नारी लेखिकाओं ने नारी के विविध रूप पारिवारिक, दांपत्य जीवन, तथा टूटन, प्रेम विवाह, अंतर्जातीय तथा बेमेल विवाह की विसंगतियाँ, तलाक शुदा नारी की सामाजिक स्थिति, नारी और नैतिकता, एकाकीपन आदि समस्याओं को उद्घाटित किया है। अनेकानेक महिला उपन्यासकारों ने अपनी रचनाओं में विषम परिस्थितियों के कारण उत्पन्न संघर्ष से मुँह मोड़ पलायन करने का संदेश न देते हुए संघर्ष करने की अदम्य आकांक्षा को व्यक्त किया है। इन रचनाकारों ने जिस जीवन को भोगा उसी की सच्ची तस्वीर अपने उपन्यासों में अंकित की, यही कारण है कि इनके उपन्यास जीवन के साथ गहरे रूप से जुड़े हुए हैं। यह भी देखने में आया है कि महिला लेखिकाओं के लेखन में एक समान सूत्र पाया जाता है। नारी की अपनी भावनाएँ, संवेदनाएँ, स्थितियों के साथ उसका संघर्ष, समाज और परिवार के कारण उसके तन और मन पर होने वाले आघात आदि का चित्रण पाया जाता है।
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Hard Cover
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Shanti Kumar Sayal
