Nari Sashaktikaran : Dasha evam Disha
Nari Sashaktikaran : Dasha evam Disha
Dr. Jainendra Yadav
SKU:
भारतीय समाज में आदिकाल से ही पुरुष, नारी शक्ति स्वरूपा देवी की पूजा-अर्चना, 'या देवी सर्वभूतेषु' के मंत्रोच्चारण से कराते आ रहे हैं, लेकिन जब किसी नारी के मान-मर्यादा की बात आती है, तब वे विक जाते हैं। समय-समय पर कवियों और लेखकों ने नारी-जीवन के वास्तविक महत्त्व को खूब उभारकर जन-साधारण के समक्ष रखने का भरसक प्रयास किया है। आजकल पुरुष लेखकों द्वारा भी कविता, कहानी के जरिए स्त्रियों की दयनीय अवस्था को महसूस करने की कवायद शुरू हो चुकी है। पुरुष साहित्यकारों ने जितने भी नारी-चरित्र निर्मित किए हैं, उनमें अधिकतर नारी-संघर्ष की कहानियाँ हैं। इस संघर्ष में किसी पुरुष के प्रति उनका त्याग सदा ही दिखाई दिया है। इस त्याग को ही नारी ने अपनी मुक्ति मान लिया है। त्याग और बन्धन की पीड़ा को वह अंदर-ही-अंदर सहन करती रही है। पुरुष लेखकों/उपन्यासकारों/कहानीकारों की रचनाओं में नारी की छटपटाहट दिखाई देती है। वे अपने साहित्य के माध्यम से नारी की स्थिति के बारे में समय-समय पर समाज के सामने रखते रहे हैं। वे नारी को किस तरह देखते हैं, महसूस करते हैं, समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं, आदि नारी के विभिन्न रूपों को जानने के लिए अलग-अलग।
Couldn't load pickup availability
Share
Binding
Binding
Hard Cover
Author
Author
Dr. Jainendra Yadav
