Neelam Ki Anguthi
Neelam Ki Anguthi
Vibhuti Bhushan Mukhopaday
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श्री विभूतिभूषण मुखोपाध्याय के 'नीलांगुरीय' उपन्यास का अपना इतिहास है। उन्होंने श्रावण 1346 (बंगाब्द) वे 'शनिवासरेर चिट्ठि' नामक पत्रिका में 'कश्चित् प्रौढ़ भालवासा' शीर्षक से एक रचना प्रकाशित की थी। उसमें प्रेम के वैचित्र्य-बाहुल्य की समीक्षा के उपरान्त, पाठकों को तत्सम्बन्धी अभिमत देने का आह्वान किया था। कालान्तर में, 'प्रेम' की जटिल मनोवृत्ति के अनेक पक्ष उजागर करने के लिए प्रस्तुत उपन्यास की रचना हुई। यानी उपन्यास का केन्द्र बिन्दु है 'प्रेम' प्रेम के विविध रूप। यह है प्रेम वैचित्र्य त्रासदी उपन्यास-विष और अमृत से गठा हुआ। उपन्यास का हिन्दी रूपान्तरण आशा गुप्त द्वारा किया गया है- विषैले रंग से मिश्रित हीरे की चमक वाली 'नीलम की अंगूठी'।
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Vibhuti Bhushan Mukhopaday
