Nepal Ka Itihas
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नेपाल तथा भारत का सम्बंध इतना प्राचीन तथा घनिष्ठ रहा कि नेपाल का इतिहास परिपूर्ण करने में भारत के इतिहास को भी सम्बद्ध किए बिना नहीं रहा जा सकता। इन दोनों देशों की भाषा, संस्कृति और राजनीति का उद्गम भी तो एक ही स्रोत से हुआ है और दोनों देशों की समस्या-ग्रस्त आकुल जनता का भविष्य भी एक-दूसरे से सम्बद्ध एवं गुम्फित है। धार्मिक विद्वान काल सतयुग में नेपाल का नाम सत्यवती, त्रेतायुग में तपोबन, द्वापरयुग में मुक्तिसोपान एवं वर्तमान कलियुग में इसका नाम किम्पुरुष देश पड़ा। नेपाल के सन्दर्भ में किम्पुरुष का अभिप्राय श्रमजीवी, स्वाभिमानी एवं वीर पुरुष हो गया है। इतिहास का भी विषय अब बहुत कुछ वैज्ञानिक होता जा रहा है और भूतकाल की घटनाओं एवं तथ्यों को वैज्ञानिक कसौटी पर परखना आवश्यक हो गया है। इस उपागम को अपना कर और महापण्डित राहुल सांकृत्यायन की रचना शैली से अभिनव प्रेरणा लेकर इस ग्रंथ का लेखन कालोपरान्त किया गया है। नेपाल का इतिहास लिखने का अभिप्राय नेपाल की श्रमजीवी, बहादुर एवं ईमानदार जनता को उसके अपने गौरवपूर्ण अतीत से परिचित कराना है जिससे वह अपनी दासता, निर्धनता एवं बेकारी की समस्याओं से निपटने का मार्ग अन्वेषण कर सके। हिन्दी भाषा नेपाली भाषा से अधिक मिलती-जुलती है। फलतः नेपाली भाषा-भाषियों को भी इस हिन्दी ग्रंथ को समझने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए।
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