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Netritva Ki Kala

Netritva Ki Kala

R. P. Singh

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मानव सभ्यता के इतिहास में प्रारंभ से लेकर आज तक जब भी मानव समुदाय संगठित हुआ तभी उसे नेतृत्व की आवश्यकता पड़ी, भले ही वह छोटा ग्रुप हो या बड़ी भीड़। नेतृत्वहीन भीड़ प्रायः अनियंत्रित हो जाती है। नेतृत्व किस प्रकार का होना चाहिए। नेता का अर्थ होता है कि उसके अनुयायी हों। जनता उसका अनुसरण करती हो। इस प्रकार का नेतृत्व ठीक या गलत भी हो सकता है। विश्व में अनेक ताकतवर, साहसी, बुद्धिमान व्यक्ति हुए हैं। लेकिन उनका अनुसरण नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उनके बारे में यह निर्णय नहीं किया जा सकता कि वे कहाँ खड़े हैं। क्या उनका रास्ता उचित है, कहीं वे अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए संगठन का दुरुपयोग तो नहीं कर रहे हैं। इस पुस्तक में दोनों प्रकार के लोगों का अध्ययन किया गया है, जिससे पाठकगण अच्छे व बुरे नेतृत्व का निर्णय कर सकें।

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Hard Cover

Author

R. P. Singh

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