Paryavaran Aaj Dharti Roti Hai
Paryavaran Aaj Dharti Roti Hai
Dr. Rajeshwari Prasad Cha
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आज वायु विषैली होती जा रही है। प्रदूषण के कारण जलचर मर रहे हैं। उष्ण कटिबंधीय प्रदेशों के सघन वन क्षेत्र नष्ट होते जा रहे हैं अकेले हमारे देश में ही प्रतिवर्ष 13 लाख हेक्टेयर वन समाप्त हो रहे हैं जबकि कुछ अन्य देशों की स्थिति इससे भी खरब है। पेट्रोलियम ईंधन के अन्धाधुन्ध इस्तेमाल से वायुमण्डल में कार्बन डाइआक्साइड और अन्य हानिकारक गैसें बढ़ रही हैं। इससे पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है। विश्व तापमान में 5 डिग्री बढ़ोत्तरी होने में 10 से 20 हजार वर्ष लगतें हैं। अब जिस तेज़ी से गर्मी बढ़ रही है उसमें मात्र 50 वर्षों में इतना तापमान बढ़ सकता है कि जीवनयापन असाध्य हो सकता है। बहुत ही स्पष्ट है कि आज समूचा विश्व पर्यावरणीय संकट के दौर से गुजरने वाला है। यदि समय रहते हालात को सँभाल लिया जाए तो हमारी पृथ्वी हमें अच्छा सरस जीवन दे सकेगी अन्यथा विनाश सन्निकट है। इसलिए वर्तमान सन्दर्भ में यह नारा बहुत सटीक लगता है- "धूल, धुआँ और बढ़ता शोर धरती चली नाश की ओर।" क्या हम इसे नारा ही बनाए रहेंगे या स्वस्थ-स्वच्छ पर्यावरण की प्राप्ति हेतु कुछ उपाय करेंगे।
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Dr. Rajeshwari Prasad Cha
