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Phoolon Ki Bhool

Phoolon Ki Bhool

Ghamandilal Agarwal

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बाल साहित्य में एकांकी की उपयोगिता को कदापि नकारा नहीं जा सकता है। बच्चे अनुकरण के माध्यम से अधिक सीखते हैं। अतः एकांकी देखकर वे अपने जीवन को नई दिशा दे पाते हैं। प्रस्तुत संग्रह में 15 शिक्षाप्रद बाल एकांकी हैं जो जागरूकता का संदेश देते हैं। 'फूलों की भूल' में अपनी भूल को सुधारने का संदेश निहित है। 'सब्जियों की लड़ाई' में सब्जियाँ अपने-अपने गुणों का बखान करती हैं। 'जंगल में पशु-सभा' मेलजोल का पाठ सिखाता है तो 'बाल-श्रम क्यों!' में शोषण के विरुद्ध आवाज बुलंद है। 'बुजुर्गों का आदर करें' नामक एकांकी बड़ों का आदर सिखाता है। वहीं 'हमें आजादी चाहिए' में बच्चों की आजादी की बात कही गयी है। 'बेटियाँ भी बेटों से कम नहीं' में बेटियों का महत्त्व रेखांकित किया गया है। 'सावधानी हटी, दुर्घटना घटी' सड़क सुरक्षा की ओर इशारा करता है। 'शिक्षा का महत्त्व' में कन्या-शिक्षा पर प्रकाश डाला गया है। 'हम हैं प्यारे अंग तुम्हारे' के माध्यम से शरीर के अंगों की नियमित सफाई की बात उजागर हुई है। 'सत्य-मार्ग' में सच्चाई के मार्ग को ही सर्वोत्तम बताया गया है। 'समय बड़ा अनमोल' समय का पालन सिखाता है तो 'बुकवर्म नहीं, आलराउंडर बनो' किताबी कीड़ा न बनने की सलाह देता है। 'चुगलखोरी से दूरी' चुगलखोरी से बचने की वकालत करता है। आशा है कि इन एकांकियों के माध्यम से बच्चों में कुछ नए मूल्यों व संस्कारों का बीजारोपण हो सकेगा।

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Author

Ghamandilal Agarwal

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