Prakriti, Paryavaran aur Hum
Prakriti, Paryavaran aur Hum
Richa Manu
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पर्यावरण प्रकृति का ही दूसरा नाम है, जिसे हम अपने चारों ओर देखते-सुनते तो हैं, पर महसूस बहुत कम कर पाते हैं। पर्यावरण वास्तव में जल, स्थल और आकाश तथा उनमें रहने वाले हर प्राणी से मिलकर बनता है। हम यह भूल चुके हैं कि प्रकृति हमारी सभी ज्ररूरतों की पूर्ति कर सकती है। पर हमारी कुत्सित लालसाओं की नहीं। जिस तेज़ी से हम वर्षा-वन, कोयला, जीवाश्म, ईंधन जैसे संसाधनों को खपा रहे हैं, उनके चलते तो हमारी आगे आने वाली पीढ़ियाँ इन प्राकृतिक उपहारों से वंचित रह जाएँगी। वन-क्षेत्र कम होने से जीव-जंतुओं के अलावा मौसम-चक्र पर भी गहरा असर पड़ा है। वर्षा ऋतु के आने से अत्याधिक फेरबदल होती जा रही है। नदियाँ, नाले सब सूख रहे हैं, जमीन और भी शुष्क हो रही है और फसलें बर्बाद हो रही हैं। पुस्तक में प्रकृति और पर्यावरण सबंधी विस्तृत जानकारी चित्रों सहित समझायी गई है।
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Hard Cover
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Richa Manu
