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Premchand Ghar Mein

Premchand Ghar Mein

Shivrani Devi

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इस पुस्तक में आपको घरेलू संस्मरण मिलेंगे पर इन संस्मरणों का साहित्यिक मूल्य भी इस दृष्टि से है कि इनसे उस महान् साहित्यिक के व्यक्तित्व का परिचय मिलता है। मानवता की दृष्टि से भी वह व्यक्ति कितना महान्, कितना विशाल था, यही बताना इस पुस्तक का उद्देश्य है। और यह बताने का अधिकार जितना इस लेखिका (प्रेमचंद की धर्मपत्नी) को है उतना और किसी को नहीं, क्योंकि उन्हीं के शब्दों में हम दोनों 'एक ही नाव के यात्री' थे और हमने साथ साथ ही जिन्दगी के सब तूफानों को झेला था, दुख में और सुख में मैं हमेशा उनके साथ, उनके बगल में थी। आदमी की पहचान तकलीफ के भंवर में पड़कर ही होती है और चूंकि हम दोनों साथ साथ उन तकलीफों से लड़े, साथ साथ रोये और हंसे, इसीलिए मुझे उनकी विशालता का थोड़ा सा अन्दाज़ लगाने का मौका मिला। उनके और उनके असंख्य प्रेमियों के प्रति यह मेरी बेवफाई होती अगर मैं उनकी मानवता का थोड़ा सा परिचय देती। मेरा विश्वास है कि यह पुस्तक साहित्यिक आलोचकों को भी प्रेमचंद साहित्य समझने में मदद पहुंचायेगी क्योंकि उनकी आदमियत की छाप उनकी एक एक पंक्ति और एक एक शब्द पर है। पुस्तक के लिखने में मैंने केवल एक बात का अधिक से अधिक ध्यान रखा है और वह है ईमानदारी, सच्चाई।

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Hard Cover

Author

Shivrani Devi

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