Ramayan Ki Bhuli-Bisri Kathayein
Ramayan Ki Bhuli-Bisri Kathayein
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रामकथा का प्रादुर्भाव भारत की पुण्य भूमि पर महर्षि वाल्मीकि द्वारा किया गया। वे एक महान ऋषि तथा महाकवि थे, जो महर्षि बनने से पूर्व एक साधारण व्याध थे, जिनका जीवन नित्य पापाचरण में ही बीतता था। एक समय महर्षि नारद तथा ब्रह्मा जी उसी वन में पधारे जिसमें वाल्मीकि का प्रभुत्व था। श्री नारद ने उन्हें 'मरा' मन्त्र का जाप करने को दिया जिसका प्रतिरूप राम था। वाल्मीकि जी ने उस मन्त्र का जाप करते हुए घोर तपस्या की तथा सिद्धि प्राप्त कर सिद्ध पुरुष हो गए। इसके पश्चात वे अपने आश्रम में शिष्य भारद्वाज सहित रहकर तपस्या करने लगे। इसी प्रकार सभी भाषाओं की रामकथाओं में अपने क्षेत्र का प्रभाव स्पष्ट देखने को मिलता है। इतना ही नहीं, अनेक क्षेत्रीय तथा संस्कृत रामकथाओं में अनेक घटनाएँ उनके साथ जोड़ दी गई हैं, जिनका अपना अलग महत्त्व है तथा ऐसी घटनाएँ जन साधारण को विस्मृत हो गई हैं। प्रस्तुत ग्रन्थ ऐसी ही अनोखी घटनाओं पर आधारित है। मैं आशा करता हूँ कि पाठकों को यह कृति रुचिकर लगेगी।
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