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Retirement Jeevan ka Ant Nahi, Nai Shuruat

Retirement Jeevan ka Ant Nahi, Nai Shuruat

Uma Pathak

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भगवान ने यह सृष्टि तो बहुत अद्भुत और सुंदर बनाई है, पर इंसान का मन कुछ विचित्र बनाया है। वह किसी भी स्थिति में, कभी भी, पूरी तरह संतुष्ट नहीं रह पाता है। जब कोई काम नहीं मिलता है, तब दुखी और निराश होता है, जब काम पाने में कामयाब हो जाता है, तो कुछ ही दिनों में उसके कारण व्यस्त होने, निरंतर काम में लगे रहने से परेशान हो जाता है। बीच-बीच में छुट्टी आने या लेने से उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता। वह बराबर हिसाब लगाता रहता है कि उसके रिटायर होने में कितना वक्त बाकी है। एक दिन वह रिटायर हो जाता है। अकसर विदाई समारोह से पहले से ही उसका मन दुखी हो जाता है। इस ससार में कोई भी स्थिति चिरंतन नहीं है। मौसम हो या दिन-रात, समय हो या सुख-दुख, उम्र हो या स्वास्थ्य, हर चीज़ बदलती रहती है। कभी सोचकर देखना चाहिए, इनमें से कोई भी स्थिति अगर हमेशा एक सी रहे, तो जीवन कैसा लगेगा? यह बदलाव ही है जो जीवन को हर स्थिति का सामना करना सिखाता है। जो मानसिक तौर पर इसके लिए तैयार रहते हैं, उन्हें कम तकलीफ होती है, पर जो इस दिशा में सोचते ही नहीं हैं, वे समय आने पर बेहद परेशान हो जाते हैं। अतः ज्यादा अच्छा यही है कि साठ हो या पैंसठ, रिटायर होने की ज़रूरत से हंसी-खुशी समझौता कर, जीवन के अगले समय का स्वागत किया जाये। कुछ नये पहलुओं को टटोलकर, उनमें अपनी ताकत के अनुसार योगदान देकर, वहाँ भी अपनी योग्यता का परचम फहराने की ज़रूरत होती है। अपनी रूचि के क्षेत्र को ढूँढने में कोई और मददगार नहीं हो सकता। घर बैठकर भी इतना कुछ किया जा सकता है कि व्यक्ति के पास बोर होने का समय ही बचे। अपने मन पर घिरे धुधलके को साफ कर नई रोशनी में सब कुछ साफ नज़र आयेगा कि रिटायरमेंट जीवन का अंत नहीं बल्कि नई शुरूआत है।

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Author

Uma Pathak

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