Sachitra Multani Lok-Kathayein
Sachitra Multani Lok-Kathayein
Satyapriya
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लोक कथाएँ जनता की संस्कृति, रीति-रिवाजों एवं समस्याओं आदि से परिचित कराती हैं। इस संग्रह की कहानियाँ पश्चिमी पंजाब के मुलतान जिले मे प्रचलित हैं। इनमें एक कहानी ‘एक धेला’ सूदखोरी की घृणित सामंतवादी कुप्रथा पर इतने सरस, रोचक एवं मनोरम ढ़ंग से व्यंग-प्रहार किया गया है कि पढ़ते-पढ़ते पेट में बल पड़ जाते हैं। अंत में श्रमजीवी किसान के हाथों सूदखोर बनिए की मात होती है। इसी प्रकार ‘दुष्ट पंडित’ नाम की कहानी में कुकर्मी एवं कामी पंडित की भी दुर्गति दिखाई देती है। बच्चे हमारे जीवन का मुख्य अंग हैं और बच्चों ही से राष्ट्र का निर्माण होता है। बच्चे ही राष्ट्र का उज्ज्वल भविष्य हैं, इसलिए लोक-कथाओं के रचयितओं ने बच्चों को भी नहीं भुलाया है। इस संग्रह की पहली कहानी ‘बूढ़ी दादी और कौवा’ में बच्चों की शरारत और बड़े-बूढ़ों को खिझाने की प्रवृति का सफल चित्रण किया है। इस संग्रह की दो कहानियाँ- ‘बूढ़ी दादी और कौवा’ और ‘तिडा पंडित’ आकाशवाणी के दिल्ली केंद्र से प्रसरित हो चुकी हैं। भाषा शैली अत्यंत सरल है तथा पुस्तक में यदा-कदा चित्र भी दिए गए हैं।
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Satyapriya
