Sawashthya Prashnottri
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जब व्यक्ति मांस-पेशीय कार्य करता है तो वह अत्यधिक ऊर्जा खर्च करता है। शरीर को यह ऊर्जा भोजन के द्वारा प्राप्त होती है। ग्लूकोज का ऑक्सीजन की सहायता से परिवर्तन क्रिया होती है, जिससे कार्बन डाई-ऑक्साइड, जल और ऊर्जा प्राप्त होती है। ग्लूकोज पूरी तरह से शरीर में ऑक्सीकृत हो जाता है। ऑक्सीजन कोशिकाओं में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने पर यह क्रिया होती है। ग्लूकोज का ऑक्सीकरण जब अपूर्ण रह जाता है तब वह लेक्टिक अम्ल की अवस्था में ही रुक जाता है। यह लेक्टिक अम्ल मांसपेशियों में इकट्ठा हो जाता है जो थकान उत्पन्न करती है। भारी कार्य करने के उपरांत थकान उत्पन्न होती है। विश्राम करने से ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में कोशिकाओं तक पहुँचने लगती है तथा ऑक्सीकरण की प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है और थकान दूर हो जाती है। शारीरिक थकान से मानसिक सन्तुलन भी बिगड़ जाता है। साथ ही मांसपेशियों का नियंत्रण भी कम हो जाता है। मस्तिष्क, निर्देशन का कार्य भली-भांति नहीं कर पाता है। नोवैज्ञानिक थकान से ग्रस्त व्यक्ति का किसी कार्य में मन नहीं लगता है। दिन-प्रतिदिन जीवन की बढ़ती समस्याओं के कारण ज्यादातर थकान मनोवैज्ञानिक प्रकृति की होती है। बार्टले का इस सम्बन्ध में एक कथन उल्लेखनीय है "थकान या तनाव कार्य की स्थिति की प्रतिक्रिया के अनुसार होती है, जिसे व्यक्ति चेतन या अचेतन रूप में महसूस करता है और मूल्यांकन करता है।
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