Shahazade Sa Shehar Tha
Shahazade Sa Shehar Tha
Dr. Asha Mishra Upadhyay
SKU:
डॉ. आशा मिश्रा उपाध्याय ने प्रस्तुत कविताओं में यही योग साधा है। यहाँ प्राचीन मूल्यों की रक्षा की पुकार है तो वर्ड्सवर्थ की तरह रोमांटिसिज्म की छौंक भी यत्र-तत्र उपलब्ध है। पुस्तक के शीर्षक में रहस्यात्मकता की अनुभूति होती है। रोमांटिक काल को हमारे यहाँ रहस्यवादी काल के रूप में देखा गया है। रहस्य इसलिए कि इनमें सब कुछ खुला-खुला नहीं होता। जो कुछ अप्रत्यक्ष होता है वह प्रत्यक्ष से कहीं आकर्षक और कभी-कभी अर्थपूर्ण भी होता है। एक मध्यकालीन कवि का यह कथन पठनीय है-धूप की अपेक्षा चाँदनी क्यों प्रिय होती है क्योंकि धूप सब कुछ खोलकर रख देती है जबकि चाँदनी ऐसा नहीं करती। वह रहस्य की चादर में बहुत कुछ समेटे रहती है। यह खुले धूप की आँखमिचौनी प्रस्तुत पुस्तक की कविताएँ-सिसकती खिड़कियाँ और 'शून्य ही पहचान है,' में मिलती है। दृष्टि से अवलोकनीय हैं विशेष कर उस पार की कविता। सूरज के आगोश से ढीली पड़ती धरा क्षितिज पार की एक और सीढी देती है चढ़ा। इसी क्रम में 'एहसास काफी है शीर्षक की कविता भी उल्लेखनीय है- तुम्हारे एहसास के खूबसूरत पल विवश करते हैं गुजर जाने को जीवन के शेष स्वर्णिम पल यह एक सुंदर रहस्यात्मक कुछ रोमांटिक अभिव्यक्ति है। - डॉ. भगवती शरण मिश्र
Couldn't load pickup availability
Share
Binding
Binding
Hard Cover
Author
Author
Dr. Asha Mishra Upadhyay
