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Shiksha Prashnottri

Shiksha Prashnottri

Dr. M.K.Mishra

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"शिक्षा शरीर के अवयवों की उन्नति करती है तथा उन्हें जीवन के योग्य बनाती है।" प्रकृतिवादी विचारधारा के अनुसार चरम सत्ता प्रकृति में निहित है अतः इनके अनुसार "हमें पूर्ण जीवन के लिए तैयार करना ही वह कार्य है जो शिक्षा को पूरा करना है, किसी भी शिक्षा व्यवस्था को जाँचने का एकमात्र बौद्धिक उपाय यह पता लगाना हैं कि किस अंश तक वह इस कार्य को पूरा करती है।" इनके अनुसार शिक्षा की परिभाषा में भौतिक समायोजन के अतिरिक्त शिक्षा का लक्ष्य हो ही नहीं सकता। प्रयोजनवाद एक भौतिक दर्शन है। यह इस संसार को तथा उसकी समस्त वस्तुओं को क्रियाओं का परिणाम मानता है। इसी कारण से के क्रियावाद, फलवाद, व्यवहारवाद, प्रयोगवाद उपयोगितावाद आदि नामों से भी जाना जाता है। यह दर्शन केवल उसी को सत्य की संज्ञा देता है जो मानने के लिए उपयोगी है तथा उसके (मानव के) प्रयोजन सिद्ध करता है। यह मूल्यों, आदर्शों की अपेक्षा जीवन के व्यावहारिक पक्ष को महत्व देता है। जिस प्रकार आदर्शवाद के लिए 'विचार' प्रकृतिवाद के लिए 'प्रकृति' ही सर्वश्रेष्ठ है वैसे ही इस दर्शन के लिए 'क्रिया' ही सब कुछ है। यदि क्रिया का फल (परिणाम) ठोस तथा सन्तोषजनक है तो क्रिया सत्य है अन्यथा असत्य। दर्शनशास्त्र की सबसे प्राचीन विचारधारा आदर्शवाद है। आदर्शवाद अंग्रेजी शब्द का हिन्दी अनुवाद है। जिसका अर्थ है विचार अथवा प्रत्ययवाद। इस विचार के अनुसार मानसिक या आध्यात्मिक सत्ता की परम सत्ता है। अतएव आदर्शवादी को मनवादी या आध्यात्मवादी कहा जाता है।

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Author

Dr. M.K.Mishra

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