Shistachar ke Niyam-Kanoon aur Aadharbhut Sidhant
Shistachar ke Niyam-Kanoon aur Aadharbhut Sidhant
Dr. Pavitra Kumar Sharma
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शिष्टाचार एक ऐसी अनुशासनात्मक और कानूनी संस्था है, जिसकी कोई आचार्य संहिता अभी तक अधिकारिक या सरकारी तौर पर लिखी गयी नहीं है। यद्यपि भारतीय धर्म ग्रंथों में अर्थात हमारे वेद-पुराण उपनिषदों में शिष्टाचार के कायदे-कानून से सम्बंधित सैकड़ों-हजारों बातों को प्राचीन ऋषि मुनियों द्वारा लिख दिया गया है। आजकल अनेक संत महात्मा लोग अपने कथा-प्रवचनों में उन बातों का जिक्र भी किया करते हैं परन्तु इस विषय पर सरल भाषा में लिखा गया कोई ग्रंथ उपलब्ध नहीं है। सौभाग्य से हमारे देश में अब ऐसा कानून बन गया है कि महिलाओं के प्रति निर्धारित किए गए शिष्टाचार्य के नियम या कानून का किसी ने भी जरा सा उल्लंघन किया और उसकी वजह से महिला की भावनाओं को ठेस पहुँची तो वह पुलिस में अपनी शिकायत दर्ज करवाकर शिष्टाचार का उल्लंघन करने वाले को सलाखों के पीछे भी पहुँचा सकती है। यहाँ तक कि अगर किसी युवक ने किसी स्त्री या लड़की की ओर गलत इशारा भी कर दिया तो युवती उसी को आधार बनाकर मनचले को कानून से दण्ड दिलवा सकती है। प्रस्तुत पुस्तक में शिष्टाचार को 'मानव-धर्म' के रूप में पुनः प्रतिष्ठित करने का प्रयास किया गया है। यद्यपि प्राचीन भारत में कई हजार वर्ष पहले ही इसको इस रूप में मान्यता दी जा चुकी थी। आज पुनः आवश्यकता इस बात की है कि शिष्ठाचार को सभी धर्म एवं सम्प्रदायों के लोग न केवल अपना आत्मिक धर्म समझें बल्कि निष्ठा पूर्व वे इसके पालन में रुचि लें। तभी मानव समाज को और विश्व को बेहतर बनाया जा सकता है। इस ग्रंथ में न केवल शिष्टाचार सम्बंधी नियमों को सरल भाषा में समझाया गया है बल्कि शिष्टाचार उल्लंघन के दुष्परिणाम कानूनी दावपेंच के रूप में भी दिए गये हैं।
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Dr. Pavitra Kumar Sharma
