Sone Ki Khan
Sone Ki Khan
Usha Yadav
SKU:
हिंदी बाल-साहित्य में किशोरों को लेकर लिखे जाने वाले उपन्यास आज भी बहुत कम हैं। विशेषतः किशोर-मन की समस्याओं पर आधृत उपन्यासों की कमी को लगातार महसूस किया जा रहा है। इसी कमी को देखते हुए यह किशोर उपन्यास 'सोने की खान' तैयार किया गया है। इसमें उस किशोर का चित्र है, जो 'शार्टकट' के सहारे धनकुबेर तो बनना चाहता है, पर धैर्य, श्रम और लगन जैसे उपकरणों के प्रयोग से कतराता है। उसकी समस्या यह है कि परिवारीजन तो उसे मेहनत के बल पर शीर्ष पर पहुंचने की अपेक्षा रखते हैं, पर वह पलक झपकते धनी हो जाने का सपना देखता है। कथानायक अपनी ग्वालियर-यात्रा के दौरान अपने ही हमउम्र किशोर से मिलता है और फिर उसके जीवन में स्तब्धकारी-रोमांचक घटनाओं का जो दौर चलता है वह किसी तिलस्मी दुनिया से कम नहीं है। इस क्रम में एक किशोर-मन की संवदेनाएं परत-दर-परत खुलती हैं और उपन्यास का ताना-बाना बुनता जाता है। इसका अंत भी पाठकों को विस्मय-विमुग्ध बनाये बिना नहीं रहता। सरल रोचक भाषा-शैली में लिखा गया यह उपन्यास यदि एक बार पढ़ना शुरू करेंगे, तो आप खत्म किये बिना नहीं रह सकेंगे।
Couldn't load pickup availability
Share
Binding
Binding
Hard Cover
Author
Author
Usha Yadav
