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Uttar Ramayan Ka Itihas

Uttar Ramayan Ka Itihas

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रामायण के उत्तरकाण्ड के अंतिम सर्ग के प्रथम श्लोक में लिखा है कि रामायण रचयिता महर्षि वाल्मीकि थे। कुश और लव ने इसे कंठस्थ कर जन-समुदाय को सुनाया। इसके बाद यह कथा अत्यंत लोकप्रिय हुई। ग्यारहवें श्लोक में लिखा गया है किप्रचेता के पुत्र महर्षि वाल्मीकिने अश्वमेध यज्ञ की समाप्ति के बाद की कथा और उत्तरकाण्ड सहित रामायण नामक इसऐतिहासिक काव्यका निर्माण किया है। ब्रह्माजी ने भी इसका अनुमोदन किया था। इससे स्पष्ट है कि महर्षि वाल्मीकि का उद्देश्य रामायण में त्रेता युग के इस स्वर्णिम इतिहास का वर्णन करना था कि कल्पना पर आधारित किसी कथा का। अत: रामायण को इतिहास पर आधारित एक ग्रंथ मानना और उसी के अनुरूप राम के ऐतिहासिक महत्व को समझना सर्वथा उचित है। इस पुस्तक को गद्य की सरल भाषा में लिखा इतिहास वर्तमान पीढ़ी को आत्मसात करने में सहज लगेगा, क्योंकि वर्तमान युग में गद्य अधिक प्रासंगिक हो गया है।

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