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Yugdharam
Yugdharam
Dr. Kiran Kumari
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आज देश व समाज में जिस प्रकार नैतिक मूल्यों का ह्रास देखने को मिल रहा है, ऐसे समय में आवश्यकता है मूल्य-परक रचनाओं के सृजन की। इन्हीं भावनाओं से 'युग-धर्म' काव्य की रचना की गई है। इस कविता-संग्रह में कवयित्री ने भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर को सैंजोया है जो मानवीय उत्थान में सहायक होने के साथ-साथ नैतिक मूल्यों का विघटन होने से देश व समाज को रोक सके एवं मानव उत्थान की ओर अग्रसर हो सके। इनकी कविताओं में भारतीय संस्कृति की झलक भी देखने को मिलती है, जैसे पर्व-त्योहार का महत्त्व और पौराणिक पात्रों का परिचय भी प्राप्त होता है जो भारतीय संस्कृति की अमूल्य निधि है। इसमें सभी कविताएँ मूल्य-परक एवं पठनीयता से ओत-प्रोत हैं।
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